Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi | Sankat Mochan Hanuman Ashtak 2025 | हनुमान अष्टक अर्थ सहित | हनुमान अष्टक के सम्पूर्ण हिंदी बोल और अर्थ पढ़ें। तुलसीदास जी द्वारा रचित यह अष्टक भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है, जो हर संकट से मुक्ति दिलाता है। Hanuman Ashtak, हनुमान अष्टक, Hanuman Ashtak in Hindi, Hanuman Ashtak Lyrics, Sankat Mochan Hanuman Ashtak, Hanuman Bhakti Song, Jai Hanuman
Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
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बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
।। दोहा। ।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय हनुमान।
हनुमान अष्टक अर्थ सहित
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो।।
🕉️ अर्थ:
जब बाल्यकाल में हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, तब पूरे संसार में अंधकार छा गया। देवताओं ने प्रार्थना की और हनुमान जी ने सूर्य को छोड़ दिया। तभी से उन्हें “संकट मोचन” कहा जाने लगा।
अंगद के संग लेन गए सिया, खोज खबर लई जनक सुत कारी।
ताहि समय संकट भयो हनुमत, लंका जरी सिया सुधि लायो प्यारी।।
लंका दहन करि असुर संहारी, सीता राम की सुधि करि लायो।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो।।
🕉️ अर्थ:
हनुमान जी ने लंका जाकर माता सीता की खोज की, असुरों का विनाश किया और राम को सिया का संदेश लाकर दिया।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकल दल, सुनि कपीस सो किए बिचारो।
कै विधि सुजिवन होय पुनः अब, यही संकट मोचन सो तुम गुसांई।।
गिरि द्रोण सु लायो हनुमत बल, लखन जियावन राम बिचारो।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो।।
🕉️ अर्थ:
जब लक्ष्मण बेहोश हो गए, तब हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर उन्हें जीवनदान दिया।
राम सुग्रीव बंधु करि दीनो, मिलि करि संकल्प भयो सुखकारी।
सुनि विप्र वचन हनुमान हर्षे, मुदित मन बचन कहे प्रेम भारी।।
संकट ते हनुमान छुड़ावैं, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।
को नहिं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो।।
🕉️ अर्थ:
हनुमान जी ने भगवान राम और सुग्रीव को मिलवाकर मित्रता कराई, जिससे रावण-वध का संकल्प सफल हुआ।
Hanuman Ashtak Meaning in English
The Hanuman Ashtak is a hymn of eight verses composed by Tulsidas Ji.
It praises the divine strength, courage, and devotion of Lord Hanuman.
Chanting it daily removes all fears, troubles, and negative energies.
Benefits of Reciting Hanuman Ashtak
- Removes fear, diseases, and bad dreams
- Grants wisdom, courage, and devotion
- Destroys negative energy and black magic
- Brings peace, prosperity, and divine protection
When and How to Chant Hanuman Ashtak
- Ideal days: Tuesday & Saturday
- Time: Early morning or sunset
- Method: Sit facing east, light a ghee lamp, and chant 11 or 108 times with full faith.
