Anuradha Paudwal Jai Shiv Omkara Lyrics | एक संपूर्ण जीवन के लिए ‘जय शिव ओमकारा’ का जाप करें

Anuradha Paudwal Jai Shiv Omkara Lyrics
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Anuradha Paudwal Jai Shiv Omkara Lyrics– ॐ जय शिव ओंकारा”, यह वह प्रसिद्ध आरती है जो देश भर में शिव-भक्त नियमित गाते हैं. लेकिन, बहुत कम लोग का ही ध्यान इस तथ्य पर जाता है कि, इस आरती के पदों में ब्रम्हा-विष्णु-महेश तीनो की स्तुति है. Om Jai Shiv Omkara lyrics in hindi

ओम जय शिव ओंकारा भोलेनाथ की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसाशन गरुड़ाशन बृषवाहन साजे।

यहाँ एकानन यानि विष्णु जी जिनका एक मुख है। चतुरानन यानि ब्रह्मा जी जिनके चार मुख है।पंचानन यानि महेश जिनके पांच मुख है। ब्रह्मा जी जिनका वाहन हंस है। विष्णु जी का वाहन गरुड़ है और महेश जिनका वाहन नंदी है। ऐसे चराचर के स्वामी शिव जी की हम वंदना करते है।

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे,
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे।

जिनकी दो भुजाएँ है वो ब्रह्मा है। चार भुजाधारी विष्णु जी है। जिनकी दस भुजायें है वो महेश है। शिव जी की त्रिमूर्ति में तत्व प्राण और जीवात्मा के स्वरूप त्रिभुवन जन को मोहित कर सभी का कल्याण करने वाले सदा शिव की हम वंदना करते हैं।

अक्षमाला वनमाला मुंड माला धारी,
चन्दन मृगमद चंदा भाले शुभ कारी।

श्री ब्रह्मा जी के गले में रुद्राक्ष की माला शोभायमान है। विष्णु जी के गले का हार वनमाला पुष्पमाला से सुशोभित है। श्री महेश मुंड माला धारन किये हुए है।माला रुपी महामाया माँ सभी का कल्याण करने वाली है। ब्रह्मा जी के ललाट पर चंदन, विष्णु जी के ललाट पर मृगमद कस्तुरी तिलक है।तथा महेश अपने मस्तिष्क पर चन्द्रमा को धारन किये हुये सभी के लिए कल्याण कारी शुभ कारी है। जिनके दर्शन मात्र से पतित भी पावन हो जाता है। ऐसे त्र्यम्बकेश्वर सदा शिव को नमन।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे,
सनकादिक गरुणादिक भुतादिक संगे।

श्वेत वस्त्र को धारन करने वाले ब्रह्मा जी, पीले वस्त्र धारण करने वाले विष्णु जी, एवं वाघंबर धारन करने वाले महेश है। ब्रह्मा जी के अनुचर सनकादिक है। विष्णु जी के सेवक गरुणादिक है और भगवान महेश के साथ समस्त भूता दिक सेवा में तत्पर रहते हैं। ब्रह्मा विष्णु महेश का समुच्चय ही शिव है। ऐसे कृपा शंकर महादेव को सत् सत् नमन।

कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूल धरता,
जग करता जग हरता जग पालन करता।

ब्रह्मा जी के हाथ में कमंडल, विष्णु जी के हाथ में चक्र और महेश के हाथों का त्रिशूल संसार के देहिक, दैविक और भौतिक ताप का नाश करने वाला है। ब्रह्मा जी जग की उत्पत्ति करते हैं, विष्णु जी पालनहार है तो महेश ईस संसार से मुक्त कर नया जीवन देकर सभी पर अनुग्रह करते हैं। ऐसे भूत भविष्य और वर्तमान के संचालक त्रिमूर्ति शिव जी की हम अराधना करते हैं।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनो एका।
ऊँ हर हर महादेव.

कोई भी विवेक हीन व्यक्ति त्रिमूर्ति शिव की महिमा को जान नही सकता। प्रणवाक्षर ऊँ में अकार, ब्रह्मा मकार विष्णु और उकार, महेश ये तीनो एकाकार है।
ऐसे सत्यं शिवम् सुन्दरम् शिव जी की हम भाव भरी महिमा गाकर आरती करते हैं।

ऊँ नमः शिवाय
शिवांश

जय शिव ओंकारा आरती हिंदी में PDF

Shiv Parvati Images

FAQ

शिवजी की आरती कौन सी है?

शिवजी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे

शिवजी की कितनी लड़कियां हैं?

Lord Shiva Daughters: क्या जानते हैं शिव जी की पांच बेटियां भी थीं, खास बात ये है कि देवी पार्वती भी इस बात से अनजान थी कि महादेव 5 बेटियों के भी पिता हैं.

शिवजी का बेटा कौन है?

Bhagwan Shiv ke 7 Putra: हम सभी में से ज़्यादातर लोगों को भगवान शिव (Lord Shiva) के दो पुत्रों गणेश जी (Lord Ganesh) और भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) के बारे में पता है, लेकिन हिन्दू पुराणों में भगवान शिव के और 5 पुत्रों का उल्लेख मिलता है. भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य के पहले पूजा की जाती है.

What does to shiv mean?

to stab or cut (someone) with a shiv (see shiv entry 1) shivved him in the back. often used figuratively. Any signs of dissent will result in his personally shivving the offender politically …

Why is it called a shiv?

The cant word probably came from the Romani word chiv for “blade” (compare Romani chivomengro “knifeman”). The derived verb shiv means “to stab someone”, and a shivver is an archaic term for a criminal who attacks victims with a knife.

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